स्कूल का पहला दिन (कहानी)प्रतियोगिता हेतु-01-Jul-2024
स्कूल का पहला दिन प्रतियोगिता हेतु
आर्विका का कल स्कूल का पहला दिन है। वह बड़ी ही प्यारी और चंचल बच्ची है। किसी को भी अनजान नहीं समझती जो भी उसे प्यार से बुलाता वो उसके पास जाकर उससे घुल- मिल जाती है। उसकी मांँ सुजाता उसके इस व्यवहार को लेकर बहुत चिंतित रहती है। क्योंकि आजकल बच्चों के अपहरण की घटनाएँ आए दिन देखने-सुनने को मिलते हैं।
सुजाता आर्विका को बड़े ही प्यार से अपने पास बुलाकर उसे समझाने लगी, बेटा! तुम्हें हमारे या पापा के अलावा कभी भी, कोई भी लेने जाए तो आप उसके साथ स्कूल से घर नहीं आइएगा। क्योंकि वो लोग कोई गंदे अंकल-आंटी भी हो सकते हैं जो आपको लेकर घर लाकर मुझे नहीं देंगे बल्कि वो आपसे अपने घर का झाड़ू- पोछा करवाएंँगे, बर्तन मजवाएंँगे या फिर आपके हाथ- पैर कटवाकर आपसे भीख मंँगवाएंँगे इसलिए कभी भी हम लोगों के अलावा किसी और के साथ आप स्कूल से बाहर नहीं आइएगा।
आर्विका नाचते हुए हाँ में सर हिला दी।
आर्विका का स्कूल और घर दोनों बड़े ही अच्छे से चल रहा था। अभी 25 दिन बीते थे कि एक दिन आर्विका के पापा कहीं बाहर चले गए और उसकी छुट्टी के समय तक नहीं आ सके। अतः सुजाता ने अपने पड़ोसी को अपने बच्ची के साथ आर्विका का को भी लाने के लिए कहा।
पड़ोसी जब छुट्टी होने के पश्चातअपने बच्ची के साथ आर्विका को भी साथ चलने के लिए कहा तब आर्विका ने साथ चलने से मना कर दिया। पड़ोसी ने आर्विका को बताया आज आपके पापा लेने नहीं आएंँगे आपको मेरे साथ ही चलना होगा। तब आर्विका ने सा़फ शब्दों में इनकार करते हुए कहा नहीं मैं आपके साथ बिल्कुल नहीं जाऊंँगी। आप मुझे ले जाकर मुझसे अपने घर का सारा काम करवाएंँगे, मेरे हाथ पैर काटकर मुझसे भीख मंगवाएंँगे। पड़ोसी ने कितना भी उसे समझाने की कोशिश किया लेकिन वह उनके साथ आने के लिए तैयार नहीं हुई। आखिर हार कर पड़ोसी आर्विका को लिए बिना घर आ गए और उन्होंने आकर सुजाता को अपने साथ घटित घटना को बताया। पहले तो सुजाता आर्विका को लेने कौन जाएगा यह सोचकर थोड़ी सी परेशान हुई किंतु तभी आर्विका के पति आ गए और वो तुरंत आर्विका को लेने के लिए विद्यालय गए। सुजाता को इस बात की ख़ुशी थी कि स्कूल के पहले ही दिन उसने अर्विका को जो पाठ पढ़ाया था, समझाया था, वह पाठ अर्वका के दिलों- दिमाग पर पूरा असर दिखाया था। अब सुजाता इस बात से निश्चित थी कि कोई भी कभी भी अर्विक को अपने साथ बहला- फुसला कर लेकर नहीं जा सकता है।
आज हमारे आस- पड़ोस, स्कूल, बाज़ार में आए दिन बच्चों के अपहरण की घटनाएंँ घटित हो रही हैं। ऐसे में हमें बच्चों को अपहरण के कारण और अपहरण के पश्चात होने वाले अंज़ाम को बताना पर परमावश्यक हो गया है।
साधना शाही, वाराणसी, उत्तर प्रदेश
HARSHADA GOSAVI
12-Dec-2024 01:46 PM
Awesome
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madhura
08-Jul-2024 02:11 AM
Amazing
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Babita patel
02-Jul-2024 10:23 AM
V nice
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